ASHTANGA NAMASKARA
अष्टांग नमस्कार एक पारंपरिक योगासन है। इस आसन को देवताओं को अपने से बड़ों को आदर प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इससे समर्पण और आशीर्वाद स्वीकार करने का भाव प्रकट होता है।
इस आसन को सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar/ Sun Salutation) में भी किया जाता है। ये आसन भुजंगासन (Bhujangasana/ Cobra Pose) करने से ठीक पहले किया जाता है।
इस आसन को सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar/ Sun Salutation) में भी किया जाता है। ये आसन भुजंगासन (Bhujangasana/ Cobra Pose) करने से ठीक पहले किया जाता है।
अष्टांग नमस्कार करने की विधि (Step By Step Instructions)
- योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
- दोनों हाथ कमर के पास सामान्य स्थिति में रहेंगे।
- हाथों को पसलियों के पास ले आएं।
- गहरी सांस बाहर की तरफ छोड़ेंगे।
- हथेलियों के बल ऊपर उठाने की कोशिश करें।
- दो पैर, दो घुटने, दो हथेलियां, सीना और ठोड़ी ही जमीन को छूते रहेंगे।
- अन्य सभी अंग हवा में उठे हुए रहेंगे।
- हिप्स और पेट हल्का सा उठा रहेगा।
- सांस को रोककर रखेंगे।
- इसके बाद सांस खींचते हुए सामान्य हो जाएंगे।
भारतीय संस्कृति में भगवान या फिर अपने से बड़ों के आदर करने की बड़ी ही वैज्ञानिक व्यवस्था है। भारत में अभिवादन या स्वागत के लिए जमीन पर लेटकर प्रणाम करने की परंपरा रही है। भारत के महान योगियों ने इसके कई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण भी बताए हैं।
अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar), इसी परंपरा का प्रतिनिधि योगासन है। इस योगासन को करते समय शरीर के कुल आठ अंग भूमि का स्पर्श करते हैं। इसीलिए इस आसन को अष्टांग या आठ अंगों से किया जाने वाला नमस्कार भी कहा जाता है। ये आसन विन्यास शैली का बिगिनर लेवल का योगासन है, जिसे सूर्य नमस्कार के योगासनों में से एक माना जाता है।
अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskar), इसी परंपरा का प्रतिनिधि योगासन है। इस योगासन को करते समय शरीर के कुल आठ अंग भूमि का स्पर्श करते हैं। इसीलिए इस आसन को अष्टांग या आठ अंगों से किया जाने वाला नमस्कार भी कहा जाता है। ये आसन विन्यास शैली का बिगिनर लेवल का योगासन है, जिसे सूर्य नमस्कार के योगासनों में से एक माना जाता है।
संस्कृत भाषा में 'अष्ट' शब्द का अर्थ 8 या आठ से होता है। जबकि 'अंग' शब्द का अर्थ शरीर के हिस्से से है। अष्टांग नमस्कार आसन में शरीर के आठ अंग फर्श के संपर्क में होते हैं। इन अंगों में 2 पैर, 2 घुटने, 2 हाथ, सीना या चेस्ट और ठोड़ी शामिल हैं।
इस योगासन को करते समय शरीर इन्हीं 8 अंगों पर टिका रहता है। इस तरह से देखा जाए तो ये आसन संतुलन बनाने, पोश्चर सुधारने और हाथों के साथ ही कोर मसल्स को भी मजबूत बनाता है। ये योगासन 6 पैक एब्स बनाने वाले योगासनों (Yoga Poses For Six Pack Abs In Hindi) में भी शामिल किया जा सकता है। अष्टांग नमस्कार शरीर में ऊर्जा को बूस्ट करता है। इसके साथ ही एक योगासन से दूसरे योगासन में जाना भी आसान बना देता है।
इस योगासन को करते समय शरीर इन्हीं 8 अंगों पर टिका रहता है। इस तरह से देखा जाए तो ये आसन संतुलन बनाने, पोश्चर सुधारने और हाथों के साथ ही कोर मसल्स को भी मजबूत बनाता है। ये योगासन 6 पैक एब्स बनाने वाले योगासनों (Yoga Poses For Six Pack Abs In Hindi) में भी शामिल किया जा सकता है। अष्टांग नमस्कार शरीर में ऊर्जा को बूस्ट करता है। इसके साथ ही एक योगासन से दूसरे योगासन में जाना भी आसान बना देता है।
अष्टांग नमस्कार से शरीर की निम्नलिखित मांसपेशियों और मसल्स को फायदा पहुंचता है। इन मांसपेशियों में
हाथ और कंधे
लोअर बैक
कोर (एब्स)
पेल्विक मसल्स
आदि शामिल हैं।
हाथ और कंधे
लोअर बैक
कोर (एब्स)
पेल्विक मसल्स
आदि शामिल हैं।
मणिपूरक चक्र और पाचन (Manipura Chakra And Digestion)
चूंकि इस आसन को करते समय पेट को भीतर खींचकर रखना पड़ता है और कोर या एब्स की मसल्स पर दबाव पड़ता है। अष्टांग नमस्कार योग के नियमित अभ्यास से मणिपूरक चक्र को स्टिम्युलेट करने में मदद मिलती है।
जब मणिपूरक चक्र एक्टिव हो जाता है, इससे सभी आंतरिक अंगों को स्टिम्युलेट करने में मदद मिलती है। ये शरीर की पाचन क्रिया को भी रास्ते पर बनाए रखने में मदद मिलती है।
चूंकि इस आसन को करते समय पेट को भीतर खींचकर रखना पड़ता है और कोर या एब्स की मसल्स पर दबाव पड़ता है। अष्टांग नमस्कार योग के नियमित अभ्यास से मणिपूरक चक्र को स्टिम्युलेट करने में मदद मिलती है।
जब मणिपूरक चक्र एक्टिव हो जाता है, इससे सभी आंतरिक अंगों को स्टिम्युलेट करने में मदद मिलती है। ये शरीर की पाचन क्रिया को भी रास्ते पर बनाए रखने में मदद मिलती है।
नोट : जब अष्टांग नमस्कार आसन को सूर्य नमस्कार (Surya Namaskara/ Sun Salutation exercises) करते हुए किया जाता है, तब एक मंंत्र का उच्चारण भी किया जाता है। सूर्य नमस्कार के आसनो में अष्टांग नमस्कार आसन 6 नंबर पर किया जाता है।
अष्टांग नमस्कार करते हुए ''ओम पूषणे नम: (Om Pushne Namaha)'' का उच्चारण किया जाता है। इसका अर्थ होता है, हम उन भगवान सूर्य को प्रणाम करते हैं जो, पूरी दुनिया को ऊर्जा देते हैं।
अष्टांग नमस्कार करते हुए ''ओम पूषणे नम: (Om Pushne Namaha)'' का उच्चारण किया जाता है। इसका अर्थ होता है, हम उन भगवान सूर्य को प्रणाम करते हैं जो, पूरी दुनिया को ऊर्जा देते हैं।
अष्टांग नमस्कार करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें (Important Notes)
अष्टांग नमस्कार का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
अगर शाम के वक्त ये आसन कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।
ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
अष्टांग नमस्कार का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए।
अगर शाम के वक्त ये आसन कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।
ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
अष्टांग नमस्कार करने में क्या सावधानी बरती जाए (Precautions for Ashtanga Namaskara Or Eight Limbed Pose) : आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो अष्टांग नमस्कार का अभ्यास करने से बचें।
- रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर ये आसन न करें।
- गंभीर बीमारी होने पर भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- गर्दन में दर्द होने पर अष्टांग नमस्कार नहीं करना चाहिए।
- स्लिप डिस्क के मरीज इस आसन का अभ्यास न करें।
- कंधे में दर्द की समस्या होने पर हाथ ऊपर न उठाएं।
- घुटने में दर्द या आर्थराइटिस होने पर दीवार के सहारे ही अभ्यास करें।
- दिल और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज ये आसन न करें।
- शुरुआत में अष्टांग नमस्कार को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
- संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
- अष्टांग नमस्कार का अभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।